जगदीश चन्द्र ठाकुर “अनिल”, जन्म: २७.११.१९५०,
शंभुआर, मधुबनी । सेवा निवृत बैंक
अधिकारी। तोरा अङनामे -गीत संग्रह-१९७८; धारक ओइ पार-दीर्घ कविता-१९९९ प्रकाशित।
गजल
पढबाक मोन होइए, लिखबाक मोन होइए
किछु ने किछु सदिखन सिखबाक मोन होइए
अन्हड़ जे रातिखन एलै, सभ गाछ डोलि गेलै
टिकुला कतेक खसलै बिछबाक मोन होइए
सासुर इनार होइए आ डोल थिकहुँ हमहूँ
किछु ने किछु एखनहुँ झिकबाक मोन होइए
अहाँ आबि जे रहल छी सुनिकऽ बताह
भेलहुँ
गोबरसँ आइ आंगन निपबाक मोन होइए
दुइ ठोर थीक अथवा तिलकोर केर तड़ुआ
होइत अछि लाज लेकिन चिखबाक मोन होइए
कोनो ऑफिसक चक्कर लगबऽ ने पड़ै
ककरो
ई बीया विचार-क्रान्तिक छिटबाक मोन होइए
आजादीक लेल एखनहुँ संघर्ष अछि जरूरी
व्यर्थ गेल सभ मांगब छिनबाक मोन होइए
No comments:
Post a Comment