पिताजी वर्तमान दुनियाँ ऐ चाँद पर
मुदा अहाँ मचान पर बैसल
हमर भविष्यक चिंता किए करै छी
हमर भविष्य हमरे पर छोड़ि दिअ
आबो अपन अनरगल सोच सँ मनकेँ मोड़ि लिअ
नारी आब अनाड़ी नै
दुत्कारल कोनो भिखाड़ी नै
हम दबल कुचल कौनो अबला सन
रक्षक केर बाट निहाड़ी नै
हम स्वयं लड़ब ओइ दानव सँ
ममता विहीन ओइ मानव सँ
जे नारीत्व धर्म केर शोषक छै
कोमल भावक भक्षक छै
हम विवश वीरक वनिता नै
हम दुःखीता द्रौपदी सीता नै
हम रणचंडी दुर्गा काली छी
दानवीय भाव संहारी आ मानवीय सकल प्रतिपाली ।
मुदा अहाँ मचान पर बैसल
हमर भविष्यक चिंता किए करै छी
हमर भविष्य हमरे पर छोड़ि दिअ
आबो अपन अनरगल सोच सँ मनकेँ मोड़ि लिअ
नारी आब अनाड़ी नै
दुत्कारल कोनो भिखाड़ी नै
हम दबल कुचल कौनो अबला सन
रक्षक केर बाट निहाड़ी नै
हम स्वयं लड़ब ओइ दानव सँ
ममता विहीन ओइ मानव सँ
जे नारीत्व धर्म केर शोषक छै
कोमल भावक भक्षक छै
हम विवश वीरक वनिता नै
हम दुःखीता द्रौपदी सीता नै
हम रणचंडी दुर्गा काली छी
दानवीय भाव संहारी आ मानवीय सकल प्रतिपाली ।
No comments:
Post a Comment