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Tuesday, April 10, 2012

राजकमल चौधरी- एकटा प्रेम-कविता



कतेक राति बितला पर
फूल पात तितला पर
मुदा इजोरिया उगबासँ कतेक पहिनें
एकटा म्लान-मुख स्त्री, अनचिन्हार
हमरा हृदयमे
किंवा अपन आँखिमे
किंवा अथाह समुद्र जकाँ पसरल अकाशमे
ताकि रहल अछि अप्पन अतीत
ताकि रहल अछि कहियो
कतेक दिन पहिनें केकरोसँ सूनल
कोनो गीत
ताकि रहल अछि अप्पन अतीत
एकटा म्लान-मुख स्त्री अनचिन्हार
बहुत राति बितलापर
फूल-पात तितला पर
मुदा हमरा निन्न आबि जाइत अछि
आ काँच सपनामे
बसन्त बहार नहि

राजकमल चौधरी - बही-खाता



एहि खातापर हम घसैत छी
संसारक सभटा हिसाब
एहि खातापर हम सदिखन घसैत छी
अपना कर्मक-अपकर्मक कारी किताब!
जे किछु कयने छी पाप-धर्म
जे किछु बुझने छी जीवन-रहस्य आ प्राण-मर्म
जे किछु बुझने छी प्राण-मर्म
जे किछु कयने छी पाप-धर्म
सभटा अंकित अछि एहि लाल बहीमे
एहि लाल बहीमे सभटा इच्छा, समग्र वासना
जे जतबा अछि जकरासँ लेन-देन
जे रखने छी हेम-नेम
सभ दर्ज भेल अछि
सभ दर्ज भेल अछि एहि लाल बहीमे
एहि लाल बहीमे सभटा इच्छा समग्र वासना
जे जतबा अछि जकरासँ लेन देन
जे रखने अछि हेम-क्षेम
सभ दर्ज भेल अछि
सभ दर्ज भेल अछि एहि लाल बहीमे
ककरासँ की लेने छी
हम सदिखन
स्नेह-दया, माया-ममता, घृणा-क्रोध
ककरा की करबाक अछि ऋणक शोध
एतबा दिनमे ककरापर
कतबा कर्ज भेल अछि
सभ दर्ज भेल अछि एहि लाल बहीमे

कविता लिखबाक ई लाल-बही
थिक हम्मर जीवन-खाता
हमर सभटा अपराध, ज्ञान, अनुभव
मोह-लोभ-संताप पराभव
इच्छा-अभिलाषासँ लीपल-पोतल
अछि एक्कर सभटा पाता
ई हम्मर लालबही थिक जीवन-खाता
जीवन-खाता