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Friday, July 31, 2015

सगर राति दीप जरय :: १९ सितम्‍बर २०१५


सगर राति दीप जरय :: १९ सितम्‍बर २०१५

मिथिलाक प्रसिद्ध साहित्‍य गोष्‍ठी- ‘सगर राति दीप जरय’क ८७म आयोजन निर्मलीमे होएत ई निर्णए तँ पछिले गोष्‍ठीमे भऽ गेल छल, जे समाचार अपने लोकनिकेँ प्राप्‍तो अछि। मुदा कहिया होएत आ निर्मलीमे केतए होएत ई साफ नइ भेल रहए, जे अझुका बैसकमे भऽ गेल।
आइ सॉंझमे निर्मलीक स्‍थानीय साहित्‍य प्रेमी सबहक बैसक भेल। जइमे श्री विनोद कुमार, श्री सत्‍य नारायण प्रसाद, श्री सुरेश महतो, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री राम विलास साहु, श्री राम प्रवेश मण्‍डल, श्री राजाराम यादव, श्री मनोज शर्मा, श्री रामलखन भंडारी एवं श्री सुरेन्‍द्र प्रसाद यादव आदि महतपूर्ण व्‍यक्‍ति सभ रहथि।
सगर रातिक कथा गोष्‍ठीक इतिहासक संग सुन्नी-हकारक महतपर विचार-विमर्श चलल। ऐ विशेषताकेँ अक्षुण्ण राखल जाए ई बात श्री राजदेव मण्‍डलजी कहलनि। सभ कियो निर्णए लेलनि जे अगिला गोष्‍ठी ऐतिहासिक हुअए। संगे दिन-तारीख आ स्‍थानक चयन सेहो भऽ गेल जे निम्‍न अछि।
अपने लोकनि (कथाकार, आलोचक) सादर अमंत्रित छी।
दिन- शनि
तारीख- १९ सितम्‍बर २०१५
स्थान : श्यामा रेसिडेन्सी कॉम विवाह हॉल, एस.बी.आइ. केम्पस- निर्मली (सुपौल) 
-उमेश मण्‍डल

Saturday, January 17, 2015

अछि मुदा सबहक एक :: उमेश मण्‍डल

अछि मुदा सबहक एक


गामक देश
भारत बेस
अपना-अपना आँखिए देख
गामक देश
भारत बेस
भाय देखि-देखि, भाय देखि-देखि...।

नदी अनेक
नाला अनेक
उद्गम अछि मुदा सबहक एक
धार अनेक
धारा अनेक
लक्ष्‍य अछि मुदा सबहक एक
गामक देश
भारत बेस
भाय...।

काज अनेक
बेवहार अनेक
विधि अछि मुदा सबहक एक
बाट अनेक
बटोही अनेक
मंजिल अछि मुदा सबहक एक
गामक देश
भारत बेस
भाय...।

चुल्हि अनेक
व्‍यंजन अनेक
स्‍वस्‍थ रहब अछि मुदा सबहक उदेस
रोग अनेक
औषधि अनेक
वैद्य अनेक
वैदशाला अनेक
पथ्‍य-परहेज अछि मुदा सबहक एक
गामक देश
भारत बेस
भाय...।

कर्म अनेक
धर्म अनेक
मर्म अछि मुदा सबहक एक
गाम अनेक
राज्‍य अनेक
राष्‍ट्र अछि मुदा सबहक एक
गामक देश
भारत बेस
     भाय...।

Friday, January 2, 2015

भारत हमर पहिचान छी :: उमेश मण्‍डल

भारत हमर पहिचान छी-


हम नै कियो आन छी
भारत हमर पहिचान छी...।

विश्वक महान देश भारत
जेतए अछि भरल विचारक
आध्‍यात्‍म दर्शन एकर प्रमाण छी
श्रद्धा-प्रेम आपसी भायचारा
भारतक अनुपम गान छी-२
हम नै कियो...।

गाम-गाममे अछि विहार
जेतए भरल अन्नक भण्‍डार
माटि-पानि एकर प्रमाण
आत्‍म निर्भर किसानी जिनगी
स्‍वतंत्र भारतक ई गान छी
हम नै कियो...।

फलक चिन्‍ता छोड़ि काज
जेतए करैत अछि एक-एक लाल
कृषि-कर्म एकर प्रमाण छी
श्रमिक, तपस्‍वी आे तियागी
सम्‍पूर्ण भारतक पहिचान छी
हम नै कियो...।

खण्‍डन-मण्‍डन केर उदेस कल्‍याण
जेतए बसैत अछि ई जायगान
जन-गन-मन एकर प्रमाण छी
दया-करूणा-श्रद्धा-सिनेह
मानवता भारतक शान छी
हम नै कियो आन छी

भारत हमर पहिचान छी। 

Saturday, April 7, 2012

धारक कात


अपना आँखि‍ये सभ देखैए
अपना चालि‍ये सभ चलैए।
सज्ञान-अज्ञान आँखि‍क बीच
चालि‍यो अपन चालि‍ मारैए।
जहि‍ना धारक दू भीत्ता बीच
पानि‍क तेज धार बहै छै
तहि‍ना ने मनुख-मनुख बीच
अपन-अपन जि‍नगीक धारा छै।
चालि‍-चलनि‍ सदृश टुकड़ी
जुटि‍-जुटि‍ महार बनै छै।
जहि‍ना धारक महार संग
आकृति‍ रंग-वि‍रंगक छै।
सभ मनुख बीच तहि‍ना ओहि‍ना
सदएसँ बनल अबै छै।
एक जाइए दोसर अबैए
उराहि‍-उराहि‍ कर्म करैए।
उराहए-नि‍माहए लेल
बेबस्‍था बीच छै अनमेल।
कि‍यो लि‍रही पोखरि‍ सदृश
तँ कि‍यो मरता इनार जकाँ
सदएसँ पड़ल मरता भेल।
बेबस्‍था जकरा हाथ लगल छै
सेहो तँ भूतही धार बनल छै।
उनटैत-पुनटैत करैए खेल
तामसे बीच बि‍खाह अछि‍ भेल।


उमेश मंडल
सम्‍पर्क- गाम-बेरमा, पोस्‍ट- बेरमा
भाया- तमुि‍रया, जि‍ला- मधुबनी
(बि‍हार)