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Tuesday, April 10, 2012

संदीप कुमार साफी- बसंत पंचमी


सरस्वती पूजा सभ साल जेना
हरेक सालमे आबैए
विद्यार्थी सभ हर्ष उमंगसँ
माता लग शीस झुकाबैए

माघ मासक शुक्ल पक्षमे
ई सुन्दर पबइन आबैए
हरियर-हरियर तीसी-मौसरी
सरिसौ कऽ फूल फुलाइए

जोर-जोरसँ पछबा हबा
धऽ कऽ गर्दा उड़ाबैए
देखियौ आम आ देखियौ महुवा
सभ मिल सुगन्ध सुंगहाबैए

गछमे हरियर नवका पत्ता
रौदामे चमक देखाबैए
नहू-नहू बहए पुरबा हाबा
होलीक गीत सुनाबैए

धिया-पुता सभ बैठ आइरपर
गहुम गोइढलाक ओरहा पकाबैए
बसन्त पंचमी सभ लोककेँ
अपनामे मिलाबैए

संदीप कुमार साफी - भकजोगनी



भुकुर-भुकुर बत्ती बड़ै
राइतक अन्हरियामे
हाथ-हाथ नै सुझैए
जेबाक अछि टोलपर

कुक्कुर भुकैए झाउ-झाउ-झाउ
साँझक बजैए छअ
हाथमे नै अछि लाठी-ठेंगा
नरहिया करैए सोर

मैइझला बाबा गबैए निर्गुण
तमाकुलपर मारै चोट
बौआ कनैए भगजोगनी लए
बड़ैए चाहूँ ओर
पकड़ रोउ, भुल्ला, होकवा
ठहा- ठहैइ अन्हरियामे लुत्ती
नेने माथपर नारक आँटी
थरथराइ छी हम पछुआरमे