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Tuesday, September 4, 2012

निक्की प्रियदर्शिनी -समाजक प्रश्न ?



समाजक प्रश्न स्त्रीक कतेक सीमा?
आब तँ भेल आब कतेक आगाँ?
की आब बना देबैक अमेरिका आ इंग्लैण्ड?
मुदा कहाँ बदलल अछि मानसिकता?
स्त्रीकें देखक, व्यवहार करइक,
अहाँ स्त्री छी ई एहसास सदिखन,
कहाँ बदलल अछि।
देखला सँ की होइत अछि ?
आ देखला सँ की भऽ जाइत अछि?
एकर अतिरिक्त,
उचित व्यवहार, उचित स्थान,
कहाँ देल गेल अछि?
जरूरत बुझि पड़ैत अछि?
समान अधिकार, समान महत्व आ समान प्रेमक,
कतए?
समाजमे कागज पर नै।

निक्की प्रियदर्शिनी- मन्तव्य



निक्की प्रियदर्शिनी, सम्प्रति भागलपुर।
मन्तव्य
व्यापार आ शिकार असगर करी,
आदर आ उपकार सभक करी,
प्रेम आ कल्पना मनसँ करी,
कपट आ छल कखनो नै करी,
कष्ट आ दुःख मे संयमसँ रही,
खेत आ खरिहान मे काते-कात चली,
विचार आ खण्डन अवश्य प्रकट करी।