ओ ना मा सी धं!
आहि रे बा, आहि रे बा,
ख्रुश्चेव खसला, चितंग!
क्रान्तिमे थूरल गेला शान्तिक दूत
लोककें लगलै अजगूत
उतारि क’ फेकि देल गेलनि फोटो
अपनो तँ एहिना
रहथिन कएने स्तालिन केर कपाल-क्रिया
सुनने रही कतहु की मुर्दाक ओहन दुर्गति?
आहि रे कप्पार!
दशो प्रतिशत क्षमा नहि पूर्वजक लेल
ऊपर अन्तरिक्षमे चलैत रहौ उड़ानक खेल
क्रेमलिनक मुदा कीदन भ’ गेल
कैक टा खु्रश्चेव ढहनेता मने उसिनल बेल
भारतीय थिकहुँ, सभकें तिल-जल देल...
‘येनास्ता पितरो जाताः, येन जाताः पितामहाः’
सएह गति होउन हिनको
ओं शान्तिः शान्तिः शान्ति !!