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Tuesday, September 4, 2012

शांतिलक्ष्मी चौधरी- बथुआक तीमन

शांतिलक्ष्मी चौधरी, 

बथुआक तीमन

मिथिला बाधक अनेर मोथा-बथुआ,
शहरी तरकारी बजारक अनमोल!
जर-जजातक हरमुठ हरमादी,
पौष्टिक आहारक छथि सिरमोर!!

गामक भनसाघरक चीज अनुप,
परदेसी धीयापुताक किलोल!
केहनो मरल भुख केँ जगा दिए,
आमील देल बथुआक सग्ग्भट्टा झोर!!

शांतिलक्ष्मी चौधरी- तिलकोर


श्रीमति शांतिलक्ष्मी चौधरी, ग्राम गोविन्दपुर, जिला सुपौल निवासी आ राजेन्द्र मिश्र महाविद्यालय, सहरसा मे कार्यरत पुस्तकालयाध्यक्ष श्री श्यामानन्द झाक जेष्ठ सुपुत्री, अओर ग्राम महिषी (पुनर्वास आरापट्टी), जिला सहरसा निवासी आ दिल्ली स्कूल ऑफ इकानोमिक्स सँ जुड़ल अन्वेषक आ समाजशास्त्री श्री अक्षय कुमार चौधरीक अर्धांगिनी छथि। प्राणीशास्त्र सँ स्नातकोत्तर रहितो शिक्षाशास्त्रक स्नातक शिक्षार्थी आ एकटा समाजशास्त्री सँ सानिध्यक कारण आम जीवनक सामाजिक बिषय-बौस्तु आ खास कऽ महिलाजन्य सामाजिक समस्या आ प्रघटनामे हिनक विशेष अभिरूचि स्वभाविक।


तिलकोर
छी विदेह बाड़ीक ई अखंड सोहाग भाग
मिथिला-संस्कृति पर पलरल अमरलत्ती
घरक पछुआर मे ओहिना कचरैत भेटैत
तरूआ पातक तिरहुतिया तिलकोर लत्ती

बलबूतबला महराजा दरभंगा होइ
कि गाम समाजक किओ कमजोर
सभक लिलसा पुरेबाक उदार-दानी
भरि साल सुलभ रहताह ई तिलकोर

चौका मे तरूआ अल्लुक होइ आकि
कदीमा फूल, तग्गर, कुम्हर-सिस्कोढ़
रमतोरइ, भाटा, वा कि मिरचाइ होइ
बुझु सछै सुन्न बिन एक तिलकोर

गरम गरम करूगर माछक तीमन होइ
की कबकब ओल, बूटक-बड़ी, कुम्हरौड़
हक स्वाद तखने शोभउत्तम सन
जखन संग उपलब्ध होइ एक तिलकोर

सुन्दर हींग देल कदीमाक तरकारी होइ
वा कि सरिसौं देल अरिकंचनक झोर
चिकना देल सजमैन खाहे केहनो बनै
सभक सुलाज राखै छथि एक तिलकोर

समधि, जमाय सन गरिष्ठ पाहुन होइथ
वा कि मुहलग्गू भौजीक भाय मुँहचो
मामा, मौसा, पीसा, सभक सुमान अधुर
पाहुन केँ जँ नै परसलिगरम तिलकोर

गरम गरम लोहिये मे तरूआ टुभटुभ
सुगंधे सँ मोन मे होत रहत हिलकोर
मिथिलावासीक छैक ई खोज अनुप-सन
नै पता मिथिला ऐला कोना ई तिलकोर

नीम-हकीमी के तँ आब गप्पे छोड़ू
आब तँ पहुँचलाह ई एम्स आरोग्य
बड़का पढ़लका एम.डी. केर कान काटै
बाड़ी-बैसल चीनीक डाक्टर ई तिलकोर