नाचि रहल नव नव तरंग
नूतन वसंत नूतन वसंत।
नव ताल वृन्द नव छाग फाग
नव गेह देह नव पात साग।
नव बाट हाट नव प्रीत गीत
नव लाेभ क्षाेभ नव हास्य रूदन
नवनीत रूप नव कमल नयन।
मन हर्षित भऽ नितराति कहल
आएल वसंत नवका वसंत।
नव सखी सखा नव मधुर रास
नवका सूरूज नवका प्रकाश।
नव तालमेल नव धूर खेल
नव जान माल नव वृद्ध बाल।
सभ तर मदमातल छै अनंग
नव नव वसंत नूतन वसंत़।
नव स्वप्न नयनमे उठल उठल
उल्लास हियमे भरल भरल।
रज कणसँ झाँकैत अछि पर्यन्त
नवका वसंत नवका वसंत।
नव कुसुम कली सकुचाए उठल
मदमस्त भ्रमर मँडराए रहल
कुहुक काेयलिया गाबि रहल
रस रंग सुधा बरसाय रहल।
अल्हड बसात चलै सनन सनन
गमकि उठल नंदन कानन।
आएल गाएल मन माेहि चलल
नूतन वसंत नव नव वसंत।
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