Pages

Showing posts with label बिनीत ठाकुर. Show all posts
Showing posts with label बिनीत ठाकुर. Show all posts

Tuesday, April 10, 2012

बिनीत ठाकुर - गीत



नित ठाम पसरल सन्नाटा चहुँ दिश उजार लागे
साँझे जँ हम घरसँ निकली असगर डर लागे

चहुँ दिश देख हरियाली नीक लगैत छल गाम
घर घरमे सुखक अनुभुति छल ई पावन धाम

के बहुरुपिया सुख सभ छिनलक सुन्ना बजार लागे

घानक रुनझुन बालासँ निकलैत छल संगीत
ओहि संगीतमे झुमि कऽ मैना गबैत छल प्रेमक गीत
आइ ओ मैना हिचुकि कऽ बाजे जिनगी जहर लागे

सुरुजक नव लाली संग उदित अछि अपन प्रीत
अखन भले करियाएल सुरुज होएत सत्यक जीत
फसल समए काल चक्रमे तँइ बसन्त पतझर लागे
के बहुरुपिया सुख सभ छिनलक सुन्ना बजार लागे