अनुप्रिया योग, सुपौल, सम्प्रति- दिल्ली।
किछु क्षणिका
१
आकाश गंगाक
गर्भमे किलकैत
नवजात पृथ्वी
२
भरल अछि
सौन्दर्य आ जीवनसँ
प्रकृतिक छवि
३
सूर्यक रथ
बढ़ि रहल यऽ
हिम शृंखलासँ
४
प्रकृति केर
अद्भुत अनुभव रूप
मन मुग्ध-मुग्ध
५
टूटल यऽ कोनो तारा
या प्रकाश स्तम्भ
प्रकृति केर सभ लीला
६
ई मेघ नै
मनक उड़ान छी
नीलाम्बरमे
७
जीवनक
अद्भुत संघर्ष
अकथ कथा
८
धर्म संस्कृति
अभिनव महान
भरत जयगान
९
मध्यम वर्गक
घर कही या, नीन्दमे
हँसैत बालक
१०
संस्कृति
केर रक्षामे
उतरल नव पीढ़ी
११
अपन संस्कृति
केर स्वागतमे
नव पीढ़ी
१२
अमृत धार
जीवन अद्भुत
हँसैत जीवन
१३
छठि पर्वमे
सूर्य आराध्य
अद्भुत अछि श्रद्धाक भाव
१४
मुग्ध करैत
प्रकृतिक रूप
जीवन युक्त
१५
ई मिलन अछि
भिन्न संस्कृति
भिन्न पहिरावा केर
१६
हरियर कचोर
जीवनक पल्लवित
रंग रूप
१७
उगि आएल
मेघक गाछ
श्यामापर
१८
डूबि रहल
उम्मीद
पानिमे
१९
डूबि रहल उम्मीद केर नाव
पानिमे
२०
पहाड़क कोरा
मेघक छाह
हँसैत गाम
२१
कोमल पाँखि
अथाह
नीलाभ
२२
थाकल तन
भीतर प्यास
मनमे मुदा भरल आश
२३
जमघट मेला
रोजी-रोटी
खूब जिन्दगी
२४
स्वप्नसँ भरल
मनक उड़ान
अथाह गगनमे
२५
एक दोसराक अंकमे
लजा रहल यऽ श्याम
आ हँसि रहल यऽ गगन
२६
ठोप-ठोपमे
जीवन
बसैत अछि
२७
नंग धरंग जीवन केर छवि कहू
या जीवन केर आसमे
नेनपन केर प्रश्न
२८
सूर्यक आभामे
मंजिल देखा गेल
जीवन केर नव रूप
२९
सूर्यक आभामे
मुखरित
जीवन
No comments:
Post a Comment