बृषेश
चन्द्र लाल, जन्म २९
मार्च १९५५ ई. केँ भेलन्हि। पिताः स्व. उदितनारायण लाल,माताः श्रीमती भुवनेश्वरी देवी। नेपालमे लोकतन्त्र
लेल निरन्तर संघर्षक क्रममे १७ बेर गिरफ्तार। लगभग ८ वर्ष जेल। सम्प्रति तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टीक
राष्ट्रिय उपाध्यक्ष । माल्हा- कथा संग्रह,
आन्दोलन- कविता संग्रह आ बी.पी. कोइरालाक प्रसिद्ध लघु उपन्यास मोदिआइनक मैथिली रुपान्तरण तथा नेपालीमे संघीय
शासनतिर नामक पुस्तक प्रकाशित। विश्वेश्वर प्रसाद कोइरालाक प्रतिबद्ध राजनीति अनुयायी
आ नेपालक प्रजातांत्रिक आन्दोलनक सक्रिय योद्धा छथि।
टनका
मरब
अहाँ
जीअत
लौसँ रक्त
चूसएबला
अहाँ
मुरझाएब
आ
ओ अमरबेल!!
हाइकू/ शेनर्यू
लैअ
छाल/ लोक हरियरीकेँ/ जारनि लेल
नभ
आ धरा/ शिव-शक्तिक मेल/ सृष्टि हएत
सटल
शान्त/ चूसैत छै छातीकेँ/ अमरबेल
हे, अनन्तोकेँ / अस्तित्व बोध लेल/ चाही किनारा!
हे, अनन्तोकेँ / अस्तित्व बोध लेल/ चाही किनारा!
गवाह
ठूँठ/ अपने पैरपर/ कुरिहरिक!
दिव्य
सन्देश/ क्षितिजसँ अनंत/
अस्तित्वकेर!
हवामे
कल्पनाक/ भरै उड़ान/ चरैअ घोड़ा!
आनि कऽ आश/
सोझाँमे फुसलाए/ धरैअऽ घोड़ा!
आशे तँ छैक/ जीवन जगतमे/ कहैअ घोड़ा!
आशे तँ छैक/ जीवन जगतमे/ कहैअ घोड़ा!
उर्वर भूमि/ श्रम आ पसीनासँ/ गर्भाइत छै!
कृत्रिमतामे/
आदिवासी आनन्द?, किन्नहुँ नइ!
नेने
छै पानि/ बेबूझ लोक लेल/ भू
खोँइछमे।
साँझ
आ भोर/ शुरुआत आ अन्त/ शान्त
रंगीन!
दैत्यक
खोड़र/ जल जीवनाधार/ सृष्टिक
खेल!
गन्हा
जाइछ/ घेराएल समुद्रो/ थुनएलासँ!
ढहनाइत/
मुदा गर्वे आन्हर/ अछि मिथिला!
बेवकूफ
छै/ मस्त बेफिक्र एना/ मनुख लेल!
सटले
लग/ पिआसल दू मोन/ मिलन
लेल।
प्राणदायिनी/ पिघलैत सिंचैत/ फटैत धरा।
धुआँइत
छी/ पानि छातीक ताओ/ भफादैअए।
जलमे
मुदा/ कोँचल आगि खाली/ ठंढएतैक?
कतेक
उड़ू/ कसाइक हाथसँ/
शान्तिक नामेँ।
खिन्न
छै शान्ति/ अशान्त दुनियाँसँ/ कते उड़ओ!
भरल
पेट/ शान्त रखैत अछि/ बाघो
सिंहकेँ।
धूर्त
आ लोभी/ भेटत नुकाएल/ चुप्पे
सोन्हिमे।
जड़ाभिसप्त/ गति लेल निर्मल/ प्रतीक्षारत।
देखह
लोक/ बलत्कृत प्रकृति/ शान्त
आ चुप।
शान्त
करेज/ अछि ऊर्जावाहक/
कोटि नमन।
भाफए
हिम/ धरतीक तापसँ/ सोचू
मानव
उठलै
मेघ/ भुइयाँक जहर/
खंगहारए।
चिन्तित
शिव/ आधुनिक माहुर/ कोना
गिड़थु?!
टोनि
रहल/ कटानक हिसाब/ धौआ झड़तैक।
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