जवाहर लाल कश्यप (१९८१- ), पिता श्री- हेमनारायण मिश्र, गाम फुलकाही, दरभंगा।
खाइ
एकटा लड़की छै
लडकी नै, परी छै
रंग ओकर दूधमे केसर मिलाएल
नैन ओकर रुपमे अछि ओझराएल
होइत अछि मोन
ओकरा सँ करी बात
बहुत रास मीठ मीठ बात
मुदा हिम्मत नै भेल
ओहो हमरा रोज देखैत अछि
देखि हँसैत अछि
किछु कहि दैत अछि
मुद हम किछु कहि नै सकलौं
रहैत अछि हम्मर बिल्डिंगमे
हम्मर बिल्डिंग
जे हम्मर नै अछि
हम ओइ बिल्डींगमे वाचमैन छी
ओतेक टा बेटी अछि हम्मर
रहैत अछि गाम मे
माय आ बुढ़ी दायक संग
हम अप्पन परिवारसँ दूर
परदेसमे
पेटक आगिमे
सभ सुख होमादि कऽ
जीने जा रहल छी
आबैत अछि वएह लड़की
लेने एकटा गुड़िया
कहैत अछि मीठ बोल
“अंकल देखू नेन हमर डॉल
कते नीक अछि
दस हजारक अछि”
ओतेक सैलरी नै अछि हम्मर
हम ओकरा छू नै सकलौं
गोदमे उठा नै सकलौं
जइ खाइकेँ
देवदूत पार कऽ चुकल
हम ओकरा पार नै कऽ सकलौं
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