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Tuesday, September 4, 2012

मुकुन्द मयंक -गजल




एक बेर नजरि मिला झुका लेलिऐ किए
मिला नैन सँ नैन अहाँ हँसि देलिऐ किए

अहाँकेँ किछु कहबाक मोन होइत छल
फेर किछु सोचि चुप भऽ अहाँ गेलिऐ किए

नाम तँ नहि अछि बुझल अहाँक हमरा
मुदा नैन देख किछु सोइच लेलिऐ किए

सभ दिन तँ देखी अहाँकेँ जाइत आबैत
आइ नै देख हम व्याकुल भऽ गेलिऐ किए

अहाँ सभ दिन चुपे चाप चलि जाइत छी
आइ मुकुंद कने मुस्किया कऽ गेलिऐ किए
वर्ण-१६