Pages

Showing posts with label अरविन्द ठाकुर. Show all posts
Showing posts with label अरविन्द ठाकुर. Show all posts

Tuesday, April 10, 2012

अरविन्द ठाकुर- गजल

 
कोना अजुका दिन ससरतै, राति कटतै हओ भजार
एकएकटा पल हमरा लेल सूनामीक प्रहार
बिसरि गेल छी मोन पछिला बेर कहिया खुश भेलहुँ
डाकिया आइयो ने आनलक अछि कोनो खुशखबरीक तार
ई महाजन, ऊ महाजन, नञि कतहु अछि रामबाण
बाण बेगरताक अछि भोंकल करेजक आरपार
यओ अन्हारक दास! आबहुँ संततिक हित कामनासँ
बजरगुम्मी तोड़ि, करू किछु आगि बारैक जोगार
पीड़ासँ लड़बाक लेल राखए पड़त निजपर भरोस
पीड़ हरए के लेल नित्तह नञि एताह कोनो औतार
आधाछिछा रहि जाइछ अरबिनजीवनक सभटा गजल
ओझरल रदीफोकाफिया आ माथ पर मिसरा सवार