Pages

Showing posts with label गुलसारिका. Show all posts
Showing posts with label गुलसारिका. Show all posts

Tuesday, September 4, 2012

गुलसारिका -संतोख अछि



बाहि केर डारि सँ खसला पर
जँ देह मे खोंच लागियो जाए त
संतोख अछि
सम्हारबाक चेष्टा त कएलहुँ अहाँ
भरिसक हमरे जकाँ अहिना
कोनो युग मे
धरा उधियाएल होएतीह
आ अम्बर हुनक डेन धरबाक चेष्टा मे
हुनकहिं उपर ओंघरा गेल होएताह
क्षितिज देखि त अहिना लगै
क्षितिज भ्रम नै
अनुपम सत्य थिक
किएक त क्षितजक पार
कोनो सत नै कोनो असत नै
सृष्टि नै ब्रम्हांड नै अतः
विध्वंसो नै
ते हमर हे सनातन अधिष्ठाता
तर्क छोड़ू
तर्कक गाछ पर सिद्धांक फड़ पकै छै
सेहो आस्था विश्वास आ प्रेमक पात
झड़ि गेलाक बाद
ते आब जखन हम प्रश्नशून्य छी
आँखिक आगू
उत्तरोत्तर उत्तरक बाढ़ि अछि
भसिया ने जा ते
आँखि मुनने स्वयं मे लीन
संकल्प दोहरबैत छी ठाढ़
जे आब एकहु डेग आगाँ नै
एकहु डेग पाछाँ नै अहीं त छी हमर पूर्णविराम