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Tuesday, September 4, 2012

सुनील कुमार झा- हाइकू



झूमि झूमि कऽ/ चलल गजराज/ जंगल बीच
जंगल बीच/ गम्हराएल अछि/ आमक बौर
अहाँ खेबए/ भरत मोर पेट/ यैह सन्देश
लहरैत यऽ/ ई हरियर खेत/ गामक बीच
अति सुन्दर/ आ नयनाभिराम/ नौका विहार
शांत समुन्द्र/ तखनो यऽ तकैत/ बटोही बाट
संगम अछि/ ई आकाश पानिक/ जंगल बीच
ललका माटि/ आ करिया पहाड़/ घरक पार
घात लगौने/ चौकन्ना बैसल यऽ/ कारी बिलाड़
चीर देलक/ पहाड़क करेज/ ई अछिंजल
अनुपम ई/ हरियर आ लाल/ प्रकृति लीला
प्रकृति प्रेम/ खोजि रहल छैक/ बियाबानमे
गरजैत ई/ क्षीरक कछारमे/ हहराबैत
शांत समुन्द्र/ कपाड़ उठौने यऽ/ दुनू पर्वत
मनुख लेल/ प्राकृतिक रचना/ स्वर्ग समान
देखलौं नञि/ एहन भयानक/ पानिक रूप
अथाह नै यऽ/ किछु ऐ दुनियामे/ ई जानि लिअ
पंख फुलौने/ गुटुर गुटुर गूँ/ बैसल शांत
हरियर नै/ पहिल बेर देखलौं/ करिया तोता
कट्टमकट/ करैत गजराज/ जंगल बीच
बियावान मे/ गजराजक क्रीडा/ अभूतपूर्व
अथाह खोह/ पतनाला बनल/ हिमक तीर
नील गगन/ आ नील सागरक/ अद्भुत मेल
बहि रहल/ पहाड़क कोखसँ/ वसुधा नीर
प्रकृति केर/ अद्भुत रचना ई/ वृक्ष मनुख
बैसल सुग्गा/ खोझाँए रहल यऽ/ अपनेपर
अथाह जल/ ई पानि आ पाथर/ प्रकृति माया
अन्हार भेल/ चन्द्रमाक प्रतापे/ सौँसे धरती
मस्त पड़ल/ प्रकृतिक गोदमे/ आदमखोर
लागल दाग/ हमर पृथ्वी पर/ सूर्य प्रताप
नुकाएल यऽ/ कुनू धूर्त चतुर/ जीव आ जंतु
अद्भुत दृश्य/ नयनाभिराम ई/ अथाह क्षीर
कतेक नीक/ नभ कए चुमैत/ ई हरियाली
अनंत दिस/ देखाए रहल यऽ/ पृथ्वीक बच्चा
जलक रानी/ मारैत हिलकोर/ छप्प-छप्प कऽ
धरातलमे/ जीवन वसुधा यऽ/ शांत पड़ल
सर्पिल पथ/ देखलौं नै कतउ/ एतेक नीक
सड़क लेल/ चीर देलक अछि/ समुन्द्रक करेज
चललौं बड़/ कनी टा रुकि जाउ/ फेर चलब
बियावानमे/ पतनाला जकाँ यऽ/ कारी गंडक
उडै़त धूल/ ललका पहाड़सँ/ कनी सोचियौ
अद्भुत दृश्य/ कहलो नै जाइ यऽ/ एकर छटा
हरित बन/ हरियरका गाछ/ हर्षित मोन
आगिक गोला/ चमकि कऽ खसल/ अनंत बीच
ई डगहर यऽ/ चमकैत यऽ जेना/ आगिक लुत्ती
कोना जीवन/ काटब एहिठाम/ एते ठंढमे
पसरल यऽ/ दूर दूर धरि ई/ उज्जर हिम
उज्जर हिम/ नख सँ शिख तक/ छारल अछि
नटुआ सभ/ करि रहल छैक/ मिलकऽ हल्ला
देखियौ कला/ देहरी चौबटिया/ कलाकारक
जगाऽ रहल/ गाम गाम घूमि कऽ/ लोक सभकेँ
नाचि रहल/ ढोल कऽ धुन पर/ छोड़ा आ छौड़ी
करैत हल्ला/ नुक्कड़ नाटक सँ/ गली मोहल्ला
रिलीफ लेल/ टूटी पड़ल छैक/ कछार पर
कोशीक डोड़ि/ भागि रहल छैक/ उचास पर
तम्बू गाड़ने/ जीवनक निर्वाह/ करि रहल
साँझक बेर/ सूर्य देवक आगाँ/ जोड़ैत हाथ
लहराएब/ झंडा राम राज्यक/ देश विदेश
विदेश सेहो/ करैत प्रचार यऽ/ रामायणक
दुहि रहल/ पेट भरए लेल/ ऐ बकरी केँ
करियौ कृपा/ करैत छी नमन/ हे छठी माइ
सड़के कात/ बेचि रहल छैक/ हाथक कला
दूर नै यऽ/ बस चारि कदम/ मंजिल लेल
 भेटल मान/ चहकि रहल यऽ/ दुशाला ओढ़ि
कोना कऽ बची/ हलाहल पानिसँ/ सोचि रहल
 हरियरका/ हरके गाछ पर/ लटकल यऽ
पातर गाछ/ लटकि रहल यऽ/ कतेक नीक
मोहक दृश्य/ पहाड़केँ छापने/ नीलका मेघ
खोजि रहल/ जमीनक हिसाब/ कते कटल
मचान पर/ जमघट लगौने/ बहैत नोर
नील मेघसँ/ उतरि कऽ बैसल/ नील गौरैया
कोनाक खाउ/ सोचि रहल छैक/ नील गौरैया
अम्बर तर/ हरियर वनमे/ बसल गाँव
कलाकार केँ/ देखइ लेल नाटक/ जुटल भीड़
स्वर्गक सीढ़ी/ बनाए देलक यऽ/ विधना लेल
सुस्ताबै लेल/ रेतक समुन्द्र मे/ बैस गेलाह
 थाकि गेला जे/ रेत मे दौड़ी कए/ बैस गेल यऽ
 अपन कला केँ/ प्राकृतिक रंग सँ/ भरि देलक
जंगल बीच/ बयारक डर सँ/ उड़ै पक्षी
साँझक बेर/ हकरैत आकाश/ जंगल बीच
फेनिल पानि/ कल कल करैत/ देत डुबाए
धरती पर/ उतरि रहल यऽ/ नभ प्रकृति
जीवन केर/ जीबैक इच्छा/ मरितो काल
हिमक वर्षा/ चारू कात/ सौँसे अन्हार
निर्मल पानि/ शांत पड़ल छैक/ यऽ किछु बात
ठूँठ गाछमे/ अकुलाइत चिड़ै/ प्यासल चोंच
प्रकृति केर/ उकेर देलक यऽ/कलाक प्रेमी
बंजर भूमि/ महकि रहल यऽ/ लाल फूलसँ
फुलवारीसँ/ गगनमे खुशबू/ फैल रहल यऽ
मोहक दृश्य/ प्राकृतिक रचना/ इन्द्रधनुषी

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