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Tuesday, September 4, 2012

हमर प्रियतम !- राहुल राही



राहुल राही, पिता- श्री हरिश्चंद्र झा, गाम- माऊंबेहट, मनीगाछी, दरभंगा, स्थायी निवास - दरभंगा, बिहार, वर्तमान निवास- सेलम, तमिलनाडु।

हमर प्रियतम !

प्रियतम ! अहाँ कतेक नीक छी।
कतेक विश्वासी आ अपन कहल पर सटीक छी,
कि हम आँखि बंद कए,  कऽ  सकैत छी
अहाँ पर विश्वास।

कि जहिना पछिला जन्म मे,
ओकर पछिला जन्म मे,
आ जन्म-जन्मान्तर सँ हर जन्म मे,
अहाँ हमरा सँ भेंट करैत एलौं,
अपन वचनक अनुसार,
आ हमरा मिलाबैत एलौं,
ओइ परम आनंद सँ,
जतए कोनो दर्दक अनुभूति नै रहि जाइत छै,
कोनो अपूर्ण इच्छाक टीस नै रहि जाइत छै,
एकटा तृप्ति होइ छै जीवनकेँ जी लेबाक,
आ संतुष्टि होइ छै अहाँकेँ पाबि सभ किछु बिसरि जेबाक।

जेना अहाँ कहियो हुसलौं नै अपन वचन सँ,
जेना अहाँ कहियो भटकलौं नै अपन कर्त्तव्य सँ।

ओहिना
जखन कोनो अप्पन कऽ बिछड़बाक दुःख गहींर उतरि कऽ करेजा मे भूर करए लगै,
जखन ककरो उपकारक कर्ज मन-ओ-मस्तिष्क केँ अपना बोझक निच्चा दाबि मरदए लगै,
जखन ककरो वचन दऽ अंतिम समय पर नै भेंट कऽ पेबाक टीस अपराध-बोधक आगिमे जराबए लगै,
आ जखन ककरो लेल किछु करबाक प्रेममय तीव्र इच्छा दम तोड़ि मिसिया-मिसिया कऽ मरबा लऽ बाध्य करए लगै,
तखन अहाँ आएब आ हमरा सम्हारि लेब,
देखू हमरा तिल-तिल कऽ मरए नै देब।

हमरा विश्वास अछि,
अहाँ आएब आ हमरा सम्हारि लेब,
अहाँ हमरा मिसिया-मिसिया मरए नै देब।

किएकि
हमर तँ जिजीविषाक श्वास-नलिये टूटि गेल छल,
तखन सँ अहींक देल भरोसाक साँस पर तँ जीबि रहल छी।
कतेक अहाँक प्रशंसा करू,
कोना अहाँकेँ धन्यवाद कहू,
किछु बुझबामे नै आबि रहल अछि,
मुदा अहाँ समय सँ आबि जाएब,
देखू, आबै मे देरी नै लगाएब।

हे हमर प्रियतम!
हे हमर मृत्यु!

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