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Tuesday, April 10, 2012

सुरेन्द्र लाभ- इन्कलाब



अन्हर उठल, बिहारि उठल अछि,
आगि उठल अछि, पानि उठल अछि,
सभ दिलमे दावानल धधकए
गाम गाममे बाढ़ि उठल अछि

बच्चा उठल, जवान उठल अछि,
जनी उठल अछि, जाति उठल अछि,
गली गल्लीमे आगि पसरलै
आइ हमर श्मेशान उठल अछि

आइ राम उठल, रहमान उठल अछि,
कुरान उठल अछि, रामायण उठल अछि।
शंख चक्र लए कृष्ण  सभामे
महाभारतमे अखनि तुफान उठल अछि ।

बन्दूक उठल, गोला उठल अछि
बारुद उठल अछि, बुट उठल अछि
छै नै ओतेक पेस्तोलमे गोली
बच्चा बच्चो जाति उठल अछि ।

भार उठल, साँझ उठल अछि,
बेर उठल अछि, राति उठल अछि
नस-नसक खून अछि खौलि रहल
चुल्ही तक छाउरमे आगि उठल अछि ।

शोषित उठल, शासित उठल अछि
दबल उठल अछि, थकुचाएल उठल अछि
शासक वर्गक नीन्ने उड़ल अछि
ओकर डरे थरथर काँपि उठल अछि ।

नारा उठल , आकाश उठल अछि,
बस्ती उठल अछि, गाम उठल अछि,
घरघरमे अन्घोेल उड़ैए
मुट्ठीमे इन्कलाब उठल अछि ।

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