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Thursday, April 26, 2012

देहसँ नमहर टाँग :: जगदीश प्र. मण्‍डल


गीत-

देहसँ नमहर टाँग जेकर
आड़ि‍-धूर वएह कूदि‍ टपै छै।
टपि‍ टपान हाथो कहैत
राही राह पकड़ि‍ चलै छै।
देहसँ नमहर टाँग जेकर...।
टाँग जेकर हाथी सदृश
बालु ऊँट कहाँ बुझै छै
चाि‍ल सुचालि‍ पकड़ि‍-पएर
रच्‍छा अपन करैत रहै छै।
देहसँ नमहर टाँग जेकर...।
मुसुक मन मारि‍ मुस्‍की
मने-मन मुसकान भरै छै।
हहा-हहा हषवि‍ष अबैत
कूदि‍-फानि‍ कहैत रहै छै।
देहसँ नमहर टाँग जेकर छै...।

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