दूजा भाव
प्रीत एना किअए पिताजी,
विपरीत बनि चलैए।
पुत्र-पुत्रीक सिनेह बीच
दूजा-भावक रूप धड़ैए।
युग बदलिते कर्म-धर्म
अपन रूप बदलैए।
साक्षी बनि इतिहास ठाढ़ भऽ
मुस्की मारि कहैए।
त्रेता चढ़िते बहुत किछु बदलल
सत्-युगक आचार-विचार।
तहिना ने द्वापरो अबिते
त्रेताक बदललक चालि-बेवहार।
भैया जन्म दिन केर
हँसी-खुशी मनबै छी।
हमरा बेर एना किअए होइए
माथ-हाथ धड़ै छी।
खेनाइ-पीनाइ पढ़ौनाइ-लिखौनाइ
भैया संग जे अछि।
हमरो संग तेहने रखने छी
भाव एहेन दूजा किअए अछि।
बेटा-बेटीक संग जँ
पापक एहेन किरदानी रहत।
तखन केना मनुखक मनुखता
धरती बीच बचल रहत।
))((
No comments:
Post a Comment