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Tuesday, April 10, 2012

विनीत उत्पल - मनुख आ माल



आइ फरियाएल जाए
अपना सभ मनुख छी आकि माल
किएक तँ दुनूमे छैक
जमीन आ आसमानक अंतर
एकटा पेटक लेल रहैत अछि ललाइत
एकटा परिवारक लेल रहैत अछि कपसैत
एकटा फूसि प्रतिष्ठाक लेल करैत अछि छल-प्रपंच
एकटा पाइ-कौड़ीक लेल घड़ी-घड़ी करैत अछि नौटंकी
एकटा मानसिक संतुष्टि लेल बौराइत अछि दिन-राति
एकटा शारीरिक संतुष्टि लेल होइत अछि व्यभिचारी
एकटा पएरपर ठाढ़ भेलाक बाद माए-बाप कऽ दैत अछि कात

दोसर तँ अछि चारिटा टांगबला
अपन पेट भरलाक बाद दैत छैक दोसरकेँ अवसर
सभ कियो ओकर सहोदर छथि
झूठ लेल प्राण नहि गमबैत अछि
दोसर नहि बौराइत अछि
मानसिक वा शारीरिक संतुष्टि लेल
पएरपर ठाढ़ भेलाक बाद
माए-बाप स्वतंत्र कऽ दैत अछि
एहिनामे के ककरासँ उत्तम

ई कहैक गप नहि अछि
मनसँ सोचैत आत्मासँ जाँचैत
निश्चित करू जे नीक के?
मनुख आकि माल।

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