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Saturday, April 7, 2012

बीघा भरि‍ चास-बास :: जगदीश मण्‍डल

बीघा भरि‍ चास-बास

चौथापन पकड़ि‍ते देखि‍
छि‍ड़ि‍आएल मन समटाए लगल।
चतड़ल गाछक डारि‍-पात सूखि‍
धड़-सि‍र, मुसरा बँचल रहल।
दुनि‍याँदारीक ताम-झाम छोड़ि
अपनेमे समाए लगलौं
साठि‍ सालक गुजरल जि‍नगीक
बैसि हि‍साब बैसबए लगलौं।
पि‍ताक देल पाँच बीघा छल
बीघा एक बचेने रहलौं।
भूल भेल कि‍ चूक भेल
अपनेमे वि‍चारए लगलौं।
गर-कुगर देखि‍-देखि‍
मन तरे-तर मसकए लगल।
गर-सुगर अबि‍ते आबि‍
मसकल मन मुसकए लगल।
सभ दि‍न देव दहि‍ने रहला
दूसँ दस परि‍वार बनल।
तखन कि‍अए पीपनी फड़कैए
ज्‍योति‍ आँखि‍ चमकए लगल।
बेटाक आस-बाट देखि‍
सात सखी आबि‍ धमकल।
नि‍:संतान जँ छी अपराध
दबकल मन उठि‍ बमकल।
पत्नि‍योकेँ धन्‍यवाद दि‍यनि‍
कहि‍यो नै हि‍आ हारलनि‍।
आठ संतानक माए बनि‍
संगि‍नी बनि‍ संगो पुड़लनि‍।
शाखा-प्रशाखा देखि‍ जहि‍ना
समपन्‍न जि‍नगी वृक्ष पबैए।
तहि‍ना ने मनुष्‍योक
शखा-सखी वंश बढ़बैए।
केना कऽ कहबै हारि‍ गेलौं
अकारथ जि‍नगी बनेलौं
मुदा जीतबो केना केलौं
मनमे वि‍चारए लगलौं
अजीव पाश पाशा चलल
क्षय सम्‍पति‍ परि‍वार बढ़ल।
दूसँ दस बनि‍-बनि‍
पाँच बर धन-बुइध बढ़ल।
पाँचम कन्‍या अबैत-अबैत
पहि‍ल कन्‍यादान केलौं
आइली-बाइली आमद नै
दस कट्ठा जमीन बेचलौं।
जएह सभ कर्म-धर्म लेख लि‍खए
सएह दुरदि‍न पैदा करैए।
सुदि‍नक दोहाइ दए-दए
खलखला गरदनि‍ कटैए।
समए संग अपने ससड़लौं
सातो बहि‍न सासुर पठेलौं।
चारि‍ बीघा भूमि‍दान दऽ
सातो कन्‍यादान केलौं।
जहि‍ना आठम संतान कृष्‍ण
तहि‍ना आठम बेटा भेल।
पाँच बीघाबला बापकेँ
बीघा भरि‍क बेटा भेल।
लोकक मोल भलहि‍ं घटए
खेतक मोल बढ़ल छै।
लूरि‍-बुइध संगे मि‍लि‍ दुनू
खेत-सवारी चढ़ल छै।
))((

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