Pages

Sunday, April 8, 2012

सासु-पुतोहु वार्ता :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


सासु-पुतोहु वार्ता

ओसार पूबरि‍या बैसि‍ सासु
पड़ल पुतोहुकेँ देल धाही।
अकड़ि‍ कऽ मकड़ि‍ बाजलि‍
देहक पानि‍ लऽ गेलह हाही।
घर पछबरि‍या पुतोहु पकड़लनि‍
धाहीक छि‍टकल ओर।
लुक्‍खी सदृश ओर पकड़ि‍
कसि‍‍ कऽ धेलनि‍ छोर।
पानि‍ये तँ पसरि‍ देहमे
पीबि‍ गेल सभटा पाणि‍।
की करब, फुरि‍ते कहाँ अछि‍
कहाँ पड़ल छी जानि‍।
उठि‍तो-बैसतो असकताइ छी
तैयो, ससरि‍-ससरि‍ सड़कै छी।
जाबे ई जीबै छथि‍न
छाहरि‍मे छि‍छि‍आइ छी।
खेल खेल खेला-खेला
खेलाएल खेलड़ी खेल खेलबह।
तहि‍येसँ खेल जि‍नगी
खेल-खेलाड़ी संग रहतह।
वामा-दहि‍ना केम्‍हरो तकबह
ढंस हेतह सभ भेलहाे-भेल।
लास जकाँ लसि‍या-लसि‍या
वि‍श्राम-बाट चढ़ैत जेबह।
अबि‍ते ओहन दि‍न देखि‍
केलहा अपन मन पड़तह।
सुमरि‍-सुमरि‍ सुमारक
पाथर-छाती रखबह।

हि‍नके धाही पकड़ि‍-पकड़ि‍
धाह-बोखार लगबै छी।
अलि‍सा-अलि‍सा ओछाइन
बेमरयाह कहबै छी।
हमरे सोझा झूठ बजै छह
कि‍अए कहतह कि‍यो बेमर‍याह
अपन मन जेहेन मानह
सएह बनि‍-बनि‍ रहि‍ह।
तैयो फेर कहै छि‍अह
पुतोहुक सुख आब जनलौं।
पूर्बेक उधियाएल पछि‍मो दि‍स
पुतोहु-सासु सेहो बुझलौं।
बेस कहै छथि‍, बेस कहै छथि‍
बेटा-बेटी भेद कतए?
एक बेटी जाएत घरसँ
दोसर तँ लगले अबैत।
एकमे गुरुआइ केलनि‍
दोसर हुकुम चढौलनि‍।
रंग-रंगक शब्‍द बदलि‍
छातीकेँ धमकौलनि‍।
करब नि‍चेन गप कहि‍यो
नै तँ आजुक काज हूसत।
गपे-गप ससरि‍-ससरि‍
रोग-वि‍याधि‍ सेहो पकड़त।

))((

No comments:

Post a Comment