मौसमक मुस्की
दिन घतट आकि राति यौ भैया
मौसम मुस्की दैत छै।
साले दिनक समए कत्ते होइए
लीलाक रंग बदलैत छै।
अपन-अपन सनेस बिलहि
सुरभि-सुगंध पसरैत छै
खसल-पड़लमे जान फूकि-फूकि
सोग मुक्त बनबैत छै।
समए ने ककरो संग छोड़ैए
ने ककरो संग दैत छै
अपन-अपन कुटल-पीसल
दुनू हाथ समटैत छै।
देखल दिन केना बितै छै
देखते देखि ससरैत छै
मृत्यु सय्यापर मन तड़पै छै
बेरथक बाट पकड़ैत छै।
खेल-खेलए चाहलौं जिनगी केर
बनि खेलौना गुड़कि गेलौं
अन्तिम सॉस बिड़हाएल होइए
नोर छोड़ि किछुअो ने पेलौं।
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