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Saturday, April 7, 2012

उमेश पासवानक तीनटा कवि‍ता


हत्‍या

थानापर पड़ल
अछि‍ एगो लाश
थाना पुलि‍स कऽ रहल अछि
हत्‍याराकेँ पकरैक कोशि‍श
हत्‍याक कारणक
छान-बि‍न रहस्‍यक तलाश
शंकामे पकराएल
एक गोट व्‍यक्‍ति‍
जेकरा नै अछि‍
डरसँ होसो हवास
पुलि‍स करकि‍ कऽ बाजल
नै कर तँू बकवास
सत-सत बाज
के करलकै एकर हत्‍या
संग-संग रहै छेलही तँू
दोस छलौ तोहर खास
कनै छै एकर
बीबी-बच्‍चा, माए-बाप
कि‍अए करलीही
एकर जि‍नगी नाश।


फाटल भवि‍ष्‍य

समय कही रहल अछि‍
जागू-जागू
अवाज उठाउ
अप्‍पन हक लेल
एखन नै जागबए तँ
परि‍स्‍थि‍ति‍क परि‍णाम
भोगए परत
अहीक लेल लड़ए पड़त
खुन खुनामे
भजाएब एक दि‍न
अबएबला समएमे
के देखलकै
जतब तब वाह-वाह
जँ हारब तँ
परि‍स्‍थि‍ति‍क परि‍णाम
भोगए पड़त
सि‍र उठा कऽ जि‍बू
फाटल-भवि‍श्‍य
अपनेसँ सि‍बू
अखनो बुझइये ओ नवतुि‍नया
आँखि‍सँ आँखि‍
मि‍ला कऽ रहू।


गेलहे घर छी

जौं अखार महि‍नामे
बुढ़ बरद, पजरामे दरद
पंजाबमे मरद अछि‍ तँ समझू
हे गेलहे घर छी।
घर लग बलान
चोर संग मि‍लान
घनक गान अछि‍ तँ समझू
हे गेलहे घर छी।
दूध लग बि‍लाइ
बच्‍चा लग सलाइ
अप्‍पन काज करैमे ढि‍लाइ तँ समझू
हे गेलहे घर छी।
डराइबर अनारी
एड्स बेमारी
दोकानमे खाइ छी उधारी तँ समझू
हे गेहले घर छी।
मैट्रीकमे फेल
जवानीमे जेल
बुढ़ाढीमे केलौं मेल तँ समझू
हे गेलहे घर छी।
चाहक चुस्‍की
लड़कीक मुस्‍की
दारू आ वि‍स्‍कीक फेरीमे परलूँ तँ समझू
हे गेलहे घर छी।
बन्‍दूकक नाल
माछक चाल
सैरक गाल देखि‍ कऽ कुदब तँ समझू
हे गेलहे घर छी।
भैयारीमे झगरा
घरवाली अछि‍ तगरा
ससूर अछि‍ लबरा तँ समझू
हे गेलहे घर छी।
बाप कंजूस
कोठीमे लागल मुस
नोकरीमे देलौं घूस तँ समझू
हे गेलहे घर छी।
कपड़ापर पड़ल मोबि‍ल
कपारमे फरल ढील
टॉगमे गरल कि‍ल तँ समझू

हे गेलहे घर छी।

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