बुड़िबकी
धरिया धारण केने माए
जाइ छलौं इस्कूल बाट।
बाटेमे रोकि काका
बुड़िबक कहि लगौलनि टाट।
बौआ, तोहर काका दिअर हेता
ओ देखलनि संग मोर।
हमरा देखि तोरा कहलखुन
दुखी नै हुअ थोड़ो-थोड़।
काकाकेँ छोड़ि दइ छियनि, माए
तोंही तँ फडिया दे?
चुट्टी धारी सदृश
केना चलब सेहो सुढ़िया दे?
बुड़िबकक माने अनेक,
एक तोहर एक माए-बापक
तोहर जे छिअ, कहै छिअ
कान पकड़िहह थोड़बो-थोड़।
एके काज दोहरी-तेहरी
जेहेन जे से तेहेन करैए।
हल्लुक भऽ जेकर होइ छै
काबिल ओ कहबैए।
बुड़िबक बूझि सवाल केलियौ
से कहाँ बुझाैलेँ माए?
सरकारी घर आॅफिसमे
अपराधक दफा बनल छै।
मुदा बाकी निरपराधी ले....?
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