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Tuesday, April 10, 2012

अशोक चौधरी - कहिया अहाँसँ होएत आब मिलन



एकहु घड़ी नहि मोनमे होइए चएन
अपन प्रेमकेँ मोन पारू प्रियतम
तरसि खून रहल छी, तरसिते रहबै अहाँक बिना
कहिया अहाँसँ ..................

हमर सभटा अपराध माफ करब
जे हमरासँ भूलमे भेल हो
दुनियाक सभ खुशी, अहाँकेँ भेटए
हमर अहाँ प्राण जीवन आ धन
अहीकेँ चरणमे लागल अछि लगन
हमरो हृदयपर विचारू प्रियतम
ई जेना बरसै, बरसिते रहत, अहाँक बिना
कहिया अहाँसँ .......................

विरहक अनेको उठैत अछि तरंग
आउ उठाउ लगाउ अंगसँ अंग
अपना वियोगेमे नहि मारू प्रिय
भटकिते रहल मन भटकिते रहत, अहाँक बिना
कहिया अहाँसँ ...................

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