फनकी
फनकी बना फसा शिकारी
फसौलक सौंसे जंगलकेँ।
बगरा-बुगरीक चर्चे कते
नथलक बाघ, गेंड़ा- घोड़ाकेँ।
खढ़-पातक बना-बना
बुनलक सक्कत जाल।
घुमा फेकैत भीड़ो कहाँ
बनि गेल तरे-तर महजाल।
खढ़क फनकी लगल बगड़ाकेँ
तैंइतमे फसि गेल सियार।
डोराक फनकी लगल साँपकेँ
भ्रमक फनकी फसल बुधियार।
))((
No comments:
Post a Comment