जुग बदलल जमाना बदलल
जुग बदलल जमाना बदलल
बदलि गेल सभ रीति-बेवहार।
चालि-ढालि सेहो बदलि गेल
बदलि गेल सभ आचार-विचार।
मुदा, राति-दिन एको ने बदलल
नै बदलल चान, सूर्ज, अकास।
पूरबा-पछबा सेहो ने बदलल
नै बदलल जिनगीक बिसवास।
दुख देखि सभ दौग रहल-ए
पाबए चाहैए सुखक भंडार।
उड़ि-उड़ि पूरबा-पछियामे
लोभक बाट पकड़ि धुरझाड़।
घर छोड़ि घुड़मुड़िया खेलए
दुहाइ कसि मातृभूमिक लगबए।
अपनो जिनगी देखि-देखि
करनीक तँ फलो किछु देखबए।
एक सुग्गा वन बास करैए
दोसर पोसा िपजरा कहबैए।
रहितो पिजरा पोसा सुग्गा
राम-राम दिन राति रटैए।
अपन जिनगी अपने बूझि
अपन बाट पकड़ए पड़त।
अपना जिनगी लेल सदति
जीवन-संघर्ष करए पड़त।
जइ युवामे आत्मबल नै
ओइ युवाक जुआनी केहेन।
अपन हाथ अपने छाती रखि
मुँहसँ अवाज निकलए जेहन।
))((
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