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Tuesday, April 10, 2012

अमरेन्द्र यादव - आह्वान



हे हउ दिनाभदरी,
तूँ दुनू भाय
चाहक संग भाङ्ग पीबि कऽ
भरि रहल छह पंजाबमे
सरदारक बखारी ।
आ एतय तोहर घरमे
कोनटा लग
कानि रहल छह
तोहर पाँच मनक कोदारि ।

हे हउ कृष्णा रामसोबरन,
तूँ दुनू भाय
साउदीक बालूपहाडपर
रोमि रहल छह हेँजक हेँज उँट
आ एतय सुन्न लगै छह
तोहर दौरी बथान
अर्ना भेल जाइ छह
तोहर अनेर भैँस ।

हे हउ भाय सलहेस,
तूँ परदेशक दरबज्जापर
दैत छह पहरा
ठोकैत छह सलामी ।
आ एतय
तोहर मायक आँचरमे
मुदइ गड़ौने छह नजरि

हे हउ दिनाभदरी,
हे हउ कृष्णाराम सोबरन,
हे हउ भाय सलहेस,
बाँझ भेल जाइ छह तोहर चौरी चाँचर,
सुन्न भेल जाइ छह गोहाली बथान
टुगर लगै छह तोहर देश ।
आबह घुरि कऽ
जल्दी आबह घुरि कऽ
अपने गामकेँ बनेबै पइन्जाब
अपने समाजकेँ बनेबै कतार
अपने देशकेँ बनेबै अमिरका ।

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