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Tuesday, April 10, 2012

फूसि‍ :: जगदीश मण्‍डल


फूसि‍

एहनो फुसि‍ बजै छी
जइ ढेरीपर बैसल छी
ओ कहै छी, कि‍छु ने अछि‍
अकर्म-वि‍कर्मक बात ि‍बनु
मुँह उघारि‍ बजै छी
एहनो फुसि‍ बजै छी।
लेश मात्र जे अछि‍ नै‍
तेकरा ढेर‍ बुझै छी
ब्रह्मलोक, शूरलोक, देवलोकक
सदति‍ बात बजै छी
एहनो फुसि‍ बजै छी।
   ))((

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