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Sunday, April 8, 2012

नव दुनि‍याँ :: जगदीश मण्‍डल


नव दुनि‍याँ

चलू यौ भैया चलू यै बहि‍नी
नव दुनि‍याँ बनबए चलू।
सभ स्‍वतंत्र अछि‍ अपना लेल
अपन दुनि‍याँ बनबए चलू।
पाँच कलासँ बनल जीव
आनन्‍द कलासँ सज्‍जि‍त छै।
तीन कला सि‍रजैबला
संग मि‍लि‍ संग चलैत छै।
आगूक जे आठ कला छै,
ओ तँ अपने सि‍रजए पड़ैत।
जँ से नै तँ, जहि‍ना छी
तहि‍ना काहि‍ काटए पड़ैत।
नै कठि‍न छै स्‍वतंत्र जन लेल
सोलहो कलाक कलाकारी करब।
वि‍श्वामि‍त्र, वि‍श्वकर्मा बनि‍
नव दुनि‍याँक सि‍रजन करब।
जहि‍ना गाछक डारि‍ मधुमाछी
जगह टेबि‍ घर बनबैए।
तहि‍ना ने सभ अपना लेल
जगह देखि‍ दुनि‍याँ बनबैए।
     ))((

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