यार यौ, गड़ि-मुड़िया......
गँड़ि-मुड़िया बोझ पड़ल छी
यार यौ, गँड़ि-मुड़िया बोझ बन्हल
छी।
पबितो धार घास बनि-बनि
बन्हैक लूरि गढ़ैत रहै छी
बाल-मन किछु ने बुझै छी
पछुआ रूप सजैत चलै छी
यार यौ गड़ि-मुड़िया बोझ बन्हल छी।
तहक-तह, तहिया-तहिया
पाँजक-पाँज पड़ल रहै छी
केकरो छीप केकरो नांगड़ि
गोर गोरथारी बनल रहै छी।
भयार यौ, गोरथारी बनल रहै छी।
गँड़ि-मुड़िया बोझ पड़ल रहै छी।
गँड़ि-मुरहा घर बनि-बनि
गँड़ि-मुरहा चालि चलैत रहै छी
गँड़ि-मुड़िया
गीत गाबि-गाबि
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