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Sunday, May 6, 2012

जेहन जेकर बगए :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


गीत-

जेहन जेकर बगए रहै छै
तेहन तेकर वाणि‍ चलै छै।
जेहन जेकर वानि‍ चलै छै
तेहन तेकर बौस बनै छै।
जेहन जेकर वगए रहै छै
तेहन तेकर बानि‍ चलै छै।
एक बानि‍ बाँसक चलै छै
दोसर व्‍योंत-बेति‍-बेति‍ होइ छै।
तेसर ि‍सक्की सि‍क चढ़ै छै।
डाला-डाल सुसकारी भरै छै।
जेहन जेकर वगए रहै छै।
तेहन तेकर बाइन‍ चलै छै।
कखनो बानि‍ उबानि‍ चलि‍-चलि‍
कुबानि‍-सुबानि‍ कहबैत चलै छै।
जेहन जेकर वगए रहै छै
तेहन तेकर बाइन चलै छै।
तेहन तेकर बाइन चलै छै।
       

बेकाल-काल :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


गीत-

बेकाल-काल कुहुकैत रहै छै
समसमाइत घुसुकैत रहै छै।
समसमाइत घुसुकैत रहै छै।
जेहन जेकर फूल रहै छै
कोढ़ी-वाती तेहने बनै छै।
बेकाल-काल कुहुकैत रहै छै।
समसमाइत घुसुकैत रहै छै।
कोढ़ि‍क कोढ़ि‍पना नहि‍-नहि‍
रूपक रूपगामि‍नी रहै छै।
ससरि‍-सड़कि‍ बदलि‍ रूप
फूल कखनो बाती बनबए लगै छै।
बेकाल-काल कुहुकैत रहै छै।
समसमाइत घुसुकैत रहै छै।
कोलोक कि‍ कम अछि‍ कि‍रदानी
अकाल-सकाल बनबैत रहै छै।
सुति‍-जगि‍ सभ चलि‍-चलि‍
गाल-काल बनबैत रहै छै।
गाल-काल बनबैत रहै छै।
बेकाल-काल कुहुकैत रहै छै।
       

मनक केहेन फूल :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


गीत-

मनक केहेन फूल फुलै छै
मनमे केहेन फूल फुलै छै।
जेहेन जेकर जि‍नगी रहै छै
तेहने तेकर फूल खि‍लै छै
जेहेन जेकर फूल खि‍लै छै
तेहेन तेकर डाली सजै छै।
तेहने तेकर डाली सजै छै।
पनगि‍ पराग परसि‍ राग
फुलवारी सि‍रजैत रहै छै।
पकड़ि‍ राग रगड़ि‍-रगड़ि‍
बारहो मास गबैत रहै छै।
बारहो मास गबैत रहै छै।
फूलोक तँ भीन-भीन कि‍रदानी
तीत-मीठ सि‍रजैत चलै छै।
खट-मीठ रूप सजा-सजा
पानि‍-खून मि‍लबैत चलै छै।
       

गीत :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


गीत-

मनक फूल फुलाइत रहै छै
मनमे फूल फुलाइत रहै छै
भरहर वसन्‍त फूल जहि‍ना
मेघ ललौन बनबैत चलै छै।
पकड़ि‍ उष्‍म परखि‍ लाली
राग वसन्‍त गबैत चलै छै।
मनक फूल फुलाइत रहै छै
मनमे फूल फुलाइत रहै छै।
रीत (ऋृतु) अनुकूल सेहो फुलाए
वि‍परीत सेहो फुलाइत रहै छै।
जोड़ि‍-मोड़ि‍ सि‍रजि‍-सि‍रजि‍
मास बारहो राग भरैत चलै छै।
मनक फूल फुलाइत रहै छै
मनमे फूल फुलाइत रहै छै।
दूमसि‍या राग वसन्‍तक
सालो-साल परखैत रहै छै
टाहि‍ मारि‍ टोहि‍या-टोहि‍या
अलाप-कलाप भरैत रहै छै।
मनक फूल फुलाइत रहै छै
मनमे फूल फुलाइत रहै छै।

पगलखना :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


पगलखना

पागल ऐ संसारमे
पगलपनी खेल चलैत रहै छै।
पगला पागल पकड़ि‍
पगलखाना बनबैत रहै छै।
लटखेना दोकान जहि‍ना
मि‍रचाइ-मि‍सरी संग रहै छै।
संसारक झखुराएल वन तहि‍ना
पगलपाना गाछ पनपैत रहै छै।
पागल ऐ संसारमे
पगलपनी खेल चलैत रहै छै।
कि‍यो पगलाएल खेत कीनैले
तँ कि‍यो पगलाएल चुमै खेतले।
कि‍यो पगलाएल डाक-डाकनि‍
तँ कि‍यो पगलाइत अगवास ले।
रहि‍तो सबहक एक मंशा
बाट-घाट बौराइत चलै छै।
सभकेँ सभ पागल कहि‍
नाच पगलपनी नचैत रहै छै।
पागल ऐ संसारमे
पगलपनी खेल चलैत रहै छै।
कि‍यो पगलाएल सुख-शान्‍ति‍ ले
कि‍यो मधुशाला बौराएल रहै छै।
तेज सवारी पकड़ि‍ चढ़ि‍
बैलेंस जि‍नगी मि‍लबैत चलै छै।
पागल ऐ संसारमे
पगलपनी खेल चलैत रहै छै।
लपकि‍-झपकि‍ मासूम मौसममे
झाखुर वन बनबैत चलै छै।
पागल ऐ संसारमे
पगलपनी खेल चलैत रहै छै।
एक-भग्‍गू लूरि‍-बुधि‍ संग
एकबट्टू बाट बना चलै छै।
सुखाएल हाड़ स्‍वान जहि‍ना
अपने रस पीबैत जीबै छै।
जहि‍ये जनमल मानव धरती
संग स्‍वान अबैत रहल छै।
कटने-चटने सेर बरोबरि‍
संग मि‍ल संग नचैत रहै छै।
पागल ऐ संसारमे
पगलपनी खेल चलैत रहै।
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