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Tuesday, January 15, 2013

गुरुत्तर :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल

गुरुत्तर

गुरुत्तर भार भरैसँ पहि‍ने
गुरुत्तर पाठ पठैत पढ़ै छी।
सड़ि‍-सड़ि‍ सरि‍या-सरि‍या
सि‍र साटि‍ सजबए लगै छै।
बून-बून बुन्नी पकड़ि‍-पकड़ि‍
धड़ि‍-धड़ि‍ धारण करै छै।
धड़कि‍-धड़कि‍ धड़-धड़धड़ा
गति‍ गीत मीत गबै छै।
शि‍वगंगा पकड़ैसँ पहि‍ने
पथर-माटि‍ बनए लगै छै।
परि‍हास रचि‍-बसि‍ कैलाश
राति‍ शि‍व रचबए लगै छै।
एक-एक जोड़ि‍-जाड़ि‍ पजेबा
महल ताज सजबए लगै छै।
पकड़ि‍ बाँहि‍ अक्षर ब्रह्म
वन-उपवन सजबए लगै छै।
अक्षर-ब्रह्म मि‍लि‍ बैसि‍
शक्‍ति‍ शब्‍द सजबए लगै छै।

हि‍त-सहि‍त पकड़ि‍-पकड़ि‍

मुँह साहि‍त्‍य सि‍रजए लगै छै।

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