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Tuesday, September 4, 2012

मुन्नी कामत -बेटी



जनम भेल तँ कहलक दाइ
भेल धरती दू हाथ तर
कोइ नै सोचलक हमहूँ जान छी
कहलक दही नून तरे-तर।

बाबू कपार पिटलनि‍
माए भेल बेहोश
जँ हम जनि‍तौं तँ
नै अबि‍तौं ऐ‍‍ लोक।
आँखि‍ अखन खुलल नै
कान अखन सुनलक नै
आ बना देलक हमरा आन
कहलक केना अट्ठारह बरख
रखबि‍ही एकर मान।
ने केकरो कि‍छु लेलौं हम
ने केकरो कि‍छु देलौं हम
जे माए हमरा जनम देलक
ओकरो मुँह नै देखि‍ पबलौं हम
अजीब दुनि‍याँ अछि‍ ई
अछि‍ गजबक लोक।
कि‍ए करैत अछि‍ एना
कि‍ए भेजैत अछि‍ बेटीकेँ परलोक
अबैत ऐ‍‍ धरतीपर
इजोतसँ पहिने भेल अन्हाेर
हमहूँ डुबि‍ गेलौं
आ डुबि‍ गेल संसार।
समाज बनल हत्याभरा
बाप बनल जल्लााद
बसैसँ पहि‍ने उजारि‍ देलनि‍
बेटीक संसार।

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