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Tuesday, September 4, 2012

सत्यनारायण झा- पत्र




लिखि रहल छी आखर हम, प्रिये अहींक नाम
गेल छलौं पूजा मे, हम अपना गाम।१
गामक माटि छलै, ओहिना गमकैत,
फूल पात सभ गाछमे, छलै ओहिना झुलैत।२
छौड़ा सभ गाछ पर, झूला झुलैत छल,
सिनेह-प्रीतिक गीत सभ, ओहिना गबैत छल।३
यारक दलान एखनो पूबे मुँहे छल,
बाबाक आँगन, सुन सान लगैत छल।४
एकोटा लोक नै, एकोटा बेद नै,
साँझे सँ अंगनामे कुकुर भुकैत छल।५
की कहू हाल हम, भैया भउजी केर,
बेटाक मारि सँ, बेदम रहथि फेर।६
गामक हालात छैक एकदम खराब,
टोले टोल भेटत आब बोतल शराब।७
नै छलै ब्रह्मस्थानमे ओ पाकरिक गाछ,
नै छलै ओकरा आब, वरक गाछक साथ।८
महराजी पोखरिक छैक, आब हालत बेहाल
घाट सभ टुटल छैक, रूप विकराल।९
आँगनमे आब, एकटा हवा बहल छै,
सबहक पुतौहु आब, रौदा तपैत छै।१०
बाध बोनक हाल एखनो हरियर लगैत छैक,
घास काटए एखनो घसविहनी भेटैत छैक।११
देखलौं आँगन मे, गबैत सामाक गीत,
पोखरिक मोहार पर, भेटल छला मीत।१२
कहलनि भजार, अहाँ काज कएल नीक,
गाम आबि गेलौं से, भेलै बड़ ठीक।१३
की कहू हम आब, गामक कथा,
लिखि नै सकै छी, गामक व्यथा।१४
माफ करब अहाँ हम, घूमि नै सकब,
गामक हालात जावे, किछु नै सुधरत।१५
मोन हुअए तँ गाम, अहूँ आबि सकै छी,
गामक सुधारमे, संग दँ सकै छी।१६

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