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Tuesday, September 4, 2012

गजल- जगदीश चन्द्र ठाकुर “अनिल”


जगदीश चन्द्र ठाकुर “अनिल, जन्म: २७.११.१९५०, शंभुआर, मधुबनी । सेवा निवृत बैंक अधिकारी। तोरा अनामे -गीत संग्रह-१९७८; धारक ओइ पार-दीर्घ कविता-१९९९ प्रकाशित
गजल

पढबाक मोन होइए, लिखबाक मोन होइए
किछु ने किछु सदिखन सिखबाक मोन होइए

अन्हड़ जे रातिखन एलै, सभ गाछ डोलि गेलै
टिकुला कतेक खसलै बिछबाक मोन होइए

सासुर इनार होइए आ डोल थिकहु हमहू
किछु ने किछु एखनहु झिकबाक मोन होइए

अहा आबि जे रहल छी सुनिकबताह भेलहु
गोबरस आइ आंगन निपबाक मोन होइए

दुइ ठोर थीक अथवा तिलकोर केर तड़ु
होइत अछि लाज लेकिन चिखबाक मोन होइए

कोनो ऑफिसक चक्कर लगबने पड़ै ककरो
ई बीया विचार-क्रान्तिक छिटबाक मोन होइए

आजादीक लेल एखनहु संघर्ष अछि जरूरी
व्यर्थ गेल सभ मांगब छिनबाक मोन होइए

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