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Tuesday, September 4, 2012

कुन्दन कुमार कर्ण- आजाद गजल

कुन्दन कुमार कर्ण, नेपाल। आजाद गजल जइ प्रेममे दर्द नै तइ प्रेममे मजा की प्रेमसँ बढ़ि कऽ मजा नै मुदा धोखासँ बढ़ि कऽ सजा की जबरदस्तीक मुसकीसँ ओ मोन पतिऔलक जइ मुसकीमे चुसकी नै तइ मुसकीक मजा की खोटसँ भरल प्रेमकेँ जिनगी भरि पुजलौं जइ प्रेममे श्रद्धा नै तइ प्रेमक पूजा की दिलमे जेहो रानी छल सेहो केलक बैमानी जइ दिलमे रानी नै तइ दिलक राजा की तालमे रहल जिनगी जेना बेताल भऽ गेल जइमे सुरताल नै हुअए तेहन धुनक बाजा की

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