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Tuesday, September 4, 2012

गीत- रामभरोस कापड़ि भ्रमर


रामभरोस कापड़ि भ्रमर, १९५१-। जन्म-बघचौरा, जिला धनुषा (नेपाल)। बन्नकोठरी: औनाइत धुँआ (कविता संग्रह), नहि, आब नहि (दीर्घ कविता), तोरा संगे जएबौ रे कुजबा (कथा संग्रह, मैथिली अकादमी पटना, १९८४), मोमक पघलैत अधर (गीत, गजल संग्रह, १९८३), अप्पन अनचिन्हार (कविता संग्रह, १९९० ई.), रानी चन्द्रावती (नाटक), एकटा आओर बसन्त (नाटक), महिषासुर मुर्दाबाद एवं अन्य नाटक (नाटक संग्रह), अन्ततः (कथा-संग्रह), मैथिली संस्कृति बीच रमाउंदा (सांस्कृतिक निबन्ध सभक संग्रह), बिसरल-बिसरल सन (कविता-संग्रह), जनकपुर लोक चित्र (मिथिला पेंटिङ्गस), लोक नाट्य: जट-जटिन (अनुसन्धान)। नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता- श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' (२०१०)


गीत

ओ पवन, झिहिर झिहिर बहैत जाउ
छूबि बताउ कने, पिया छथि कतए केकरा संग
वर्षहु गेला भेलनि‍, सुधिबुधि किछु ने छन्‍हि‍!
दिन भेल पहाड, दुख भेल जीवनक अंग।

निष्‍ठूर समाज चाहे, नोचि नोचि खाइ जेना
शेरक भूख बनल जवानीक तरंग जेना
चारुभर शिकारी ताकमे बैसल अछि
रहल ने कोनो उमंग!
ओ प, पिया छथि कतए केकरा संग!!

अधिकारक बात सभ लागु ने भेल कखनो
नारीक बेथा-कथा कमैनीक धंधा एखनो
जान जोखिम बनल कतए धरि घींचब
त्‍यागब प्राण वियोगे कन्‍त!
ओ पवन, पिया छथि कतए केकरा संग!!

जानि जानि आगिसँ खेली केना हम
शक्ति भरल मुदा तौली केना हम
शील, सुशील मिथिला केर ललना
पतिक परोक्ष भेल शिथिल तरंग!
ओ पवन, पिया छथि कतए, केकरा संग!!


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