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Tuesday, September 4, 2012

कालीनाथ ठाकुर- अभिशाप बापक पाप- कुण्डलिया


कालीनाथ ठाकुर, सर्वसीमा, दरभंगा, बिहार 

अभिशाप बापक पाप
कुण्डलिया
पण्डितजी दण्डित भेलाह जखनहि कन्या पाँच
पूर्व जन्मक कर्म फल, वा विधिक कोनो ई जाँच।
विधिक कोनो ई जाँच, यएह चर्चा भरि गामक
लाबथु नोट निकालि जत्ते सम्पत्ति छन्हि मामक।
पनही गे
लनि‍ खियाए, कतौ नै बैसलनि गोरा
धन्यवादक पात्र छथि ‘‘कलियुि‍गक घोड़ा।

सत, रज, तम, सभ व्यर्थ थीक शिक्षा शील स्वभाव
गुण एकहि अछि अर्थ गुण अवगुण अर्थाभाव
अवगुण अर्थाभाव भाव नै अछि गुण रूपक
कन्या कारी, गोर, मूर्ख वा दिव्य स्वरूपक।
मायक दूधक दाम जोड़ि‍ गनबौता टाका
पुत्र हुनक गामक गौरव से कहलथि काका

बीतल शुद्ध आषाढक अगहन वैशाख।
पहिल कुलच्छन बुझलनि, जखने घुरि एला सौराठ॥
घुरि एला सौराठ हाट करथु बेचारे
विधिक लिखल के मेटल आब रहि जेता कुमारे॥
छोरलनि बीस हजार, लोभमे तीस हजारक।
कए रहला गणना जोतखी, ऐ‍ साल बजारक

सुनलनि जखनि सुषेणसँ, दहेज निरोधी न्यूज
तखनहि जेना दिमाग केर ढिबरी भऽ गेल फ्यूज
ढिबरी भऽ गेल फ्यूज बराति कन्यागत दुनू
घटकैती के करत घटक केर हाल ने सुनू
बरक हाथ कनियाँ बरियातीक हाथ हथकड़,
सरियी सभ करथु
दौग-बड़हा कचहरी।

लूटन झा तँ लूटि गेला कए दूइ कन्यादान
मोछ पिजौनहि रहि गेलाह करता की बरदान?
करता की बरदान चोट छन्हि नगदी नोटक
उजरल बरदक हाट प्रथम ई बात कचोटक
घटक राज केर संग करथु बरु तीर्थयात्रा
करथु मन्त्रणा गुप्त मुक्त भऽ सफल सुयात्रा

जाति जनौ बाँचत केना? कुल मर्यादा मान
अन्तर्जाति ि‍वयाहमे घोषित नकद ईनाम
घोषित नकद ईनाम संग सर्विस सरकारी
कहय शास्त्र ओ वेद मात्र द्विज छथि अधिकारी
करथु ग्रहण ककरो कन्या हो डोम चमारक
मन डोललनि पण्डित जी के जे उच्च विचारक

भेल मनन मन्थन बहुत, ई समाज केर पाप!!
की दहेज बनले रहत समाजक अभिशाप!!
समाजक अभिशाप ब्याज ई पूँजीवादक।
बेच आत्मसम्मान स्वांग धरि कुल मर्यादक
सिद्धान्त नै बेवहारो केर करू प्रदर्शन
तखनहि तँ भऽ सकत रोग उन्मूलन॥
(सन १९६८ईं.मे रचित दहेज विरोधी रचना)

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