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Tuesday, September 4, 2012

टनका/ हाइकू/ शेनर्यू- बृषेश चन्द्र लाल


बृषेश चन्द्र लाल, जन्म २९ मार्च १९५५ ई. केँ भेलन्हि। पिताः स्व. उदितनारायण लाल,माताः श्रीमती भुवनेश्वरी देवी। नेपालमे लोकतन्त्र लेल निरन्तर संघर्षक क्रममे १७ बेर गिरफ्तार। लगभग ८ वर्ष जेल। सम्प्रति तराईमधेश लोकतान्त्रिक पार्टीक राष्ट्रिय उपाध्यक्ष । माल्हा- कथा संग्रह, आन्दोलन- कविता संग्रह आ बी.पी. कोइरालाक प्रसिद्ध लघु उपन्यास मोदिआइनक मैथिली रुपान्तरण तथा नेपालीमे संघीय शासनतिर नामक पुस्तक प्रकाशित। विश्वेश्वर प्रसाद कोइरालाक प्रतिबद्ध राजनीति अनुयायी आ नेपालक प्रजातांत्रिक आन्दोलनक सक्रिय योद्धा छथि।

टनका
मरब अहाँ
जीअत लौसँ रक्त
चूसएबला
अहाँ मुरझाएब
आ ओ अमरबेल!!

हाइकू/ शेनर्यू
लैअ छाल/ लोक हरियरीकेँ/ जारनि लेल
नभ आ धरा/ शिव-शक्तिक मेल/ सृष्टि हएत
सटल शान्त/ चूसैत छै छातीकेँ/ अमरबेल
हे, अनन्तोकेँ / अस्तित्व बोध लेल/ चाही किनारा!
गवाह ठूँठ/ अपने पैरपर/ कुरिहरिक!
दिव्य सन्देश/ क्षितिजसँ अनं/ अस्तित्वकेर!
हवामे कल्पनाक/ रैड़ा/ चरैअ घोड़ा!
आनि कऽ आश/ सोझाँमे फुसलाए/ धरैअऽ घोड़ा!
आशे तँ छैक/ जीवन जगतमे/ कहैअ घोड़ा!
र्वर भूमि/ श्रम आ पसीनासँ/ गर्भाइत छै!
कृत्रिमतामे/ आदिवासी आनन्द?, किन्नहुँ नइ!
नेने छै पानि/ बेबूझ लोक लेल/ भू खोइछमे।
साँझ आ भोर/ शुरुआत आ अन्त/ शान्त रंगीन!
दैत्यक खोड़र/ जल जीवनाधार/ सृष्टिक खेल!
गन्हा जाइछ/ घेराएल समुद्रो/ थुनएलासँ!
ढहनाइत/ मुदा गर्वे आन्हर/ अछि मिथिला!
बेवकूफ छै/ मस्त बेफिक्र एना/ मनुख लेल!
सटले लग/ पिआसल दू मोन/ मिलन लेल।
प्राणदायिनी/ पिघलैत सिंचैत/ फटैत धरा।
धुआँइत छी/ पानि छातीक ताओ/ भफादैअए।
जलमे मुदा/ कोँचल आगि खाली/ ठंढएतैक?
कतेक उड़ू/ कसाक हाथसँ/ शान्तिक नामेँ।
खिन्न छै शान्ति/ अशान्त दुनियाँसँ/ कते उड़ओ!
भरल पेट/ शान्त रखैत अछि/ बाघो सिंहकेँ।
धूर्त आ लोभी/ भेटत नुकाएल/ चुप्पे सोन्हिमे।
ड़ाभिसप्त/ गति लेल निर्मल/ प्रतीक्षारत।
देखह लोक/ बलत्कृत प्रकृति/ शान्त आ चुप।
शान्त करेज/ अछि र्जावाहक/ कोटि नमन।
भाफए हिम/ धरतीक तापसँ/ सोचू मानव
उठलै मेघ/ भुइयाक जहर/ खंगहारए।
चिन्तित शिव/ आधुनिक माहुर/ कोना गिड़थु?!
टोनि रहल/ कटानक हिसाब/ धौआ झड़तैक।

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