Pages

Tuesday, September 4, 2012

जगदानन्द झा “मनु” -हजल


जगदानन्द झा “मनु”
हजल
गदहराज धन्य छी दिअ  सदबुद्धि हमरो अहाँ
उपर लदने बोझ नै आँखि देखाबी ककरो अहाँ

धियान मग्न रहि मधुर तान ढेंचू-ढेंचू करै छी
मन्त्र  जनैत छी शास्त्रीय गायन कए सगरो अहाँ

मनुख पबैत सम्मान विशेष नाम अहीँक लऽ कऽ
बिन आपति बर्दास्त करी नहि करी झगरो अहाँ

स्वर्ग गेलौं लागले छान ई कथा जगजाहिर अछि
करु पैरबी कनी हमर बियाहक  जोगरो अहाँ

गृहस्थक जुआ कान पर 'मनु' खटब आब कोना
दिअ गदहपन जँ बुझलौं अपन हमरो अहाँ
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१९)

No comments:

Post a Comment