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Tuesday, August 28, 2012

कोढ़ पकड़ि‍ :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


कोढ़ पकड़ि‍......

कोढ़ पकड़ि‍ कोढ़ी कहै छै
कोंढ़ि‍या कोढ़ पकड़ने छै।

केना कऽ फड़बै-फुलेबै
रेहे-देहे पकड़ने छै।
कोढ़ पकड़ि‍.....।
देखबोमे नहि‍ देख पड़ै छै
सुनबोमे नहि‍ सुनि‍ पबै छै।
टीश-पीड़ा टीशा पीड़ा
घोर-घोर मन बनौने छै।
कोढ़ पकड़ि‍.....।
नहि‍ कहि‍यो फड़बै-फुलेबै

झखि‍-झखि‍ आशा तोड़ने छै।

सकारथ भऽ अकारथ बनि‍-बनि‍

दि‍न-राति‍ अनि‍याय करै छै।

कोढ़ पकड़ि‍.....।

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