मीत यौ, देहक पानि.......
मीत यौ, देहक पानि तखन फुलाइ छै
कोढ़ी बनि काज रूप लगै छै।
देहक पानि तखन फुलाइ छै।
कोढ़िये ने फुलो-फड़ो संग
बाँहि पकड़ि संकल्प कुदै छै।
देहक पानि.....।
जाधरि मन संकल्पित नहि
ताबे केना उद्देश्य कहबै छै
संकल्पे ने तन-मन बीच
सीमा दइत डेग बढ़बै छै।
मीत यौ, देहक पानि.....।
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