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Tuesday, August 28, 2012

मुँहक हँसी केहेन :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


मुँहक हँसी केहेन अबै छै
ठोरक रूप देखैत चलू।
छाती केना दलकि‍ रहल छै
सूर-तान भजैत चलू।
मुँहक हँसी केहेन अबै छै
ठोरक रूप.......।
जि‍नगी जेकर जेहेन रहै छै
छाती तेहने तेकर बनै छै।
हलसि‍-कलशि‍ कहैत रहै छै
पारदर्शी एेना बनैत रहै छै।
मुँहक हँसी केहेन अबै छै
ठोरक रूप.......।

जखने पालि‍स शीशा लगतै
झल अन्‍हार बनि‍ते रहतै।
झल अन्‍हार अन्‍हार बदलि‍
एक्कभग्‍गु बनि‍ शीशा कहतै।
मुँहक हँसी केहेन अबै छै
ठोरक रूप.......।

देखि‍-देखि‍, सुनि‍-सुनि
‍‍हँसैत डेग उठबैत चलू।

मुँहक हँसी केहेन अबै छै

ठोरक रूप.......।

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