Pages

Saturday, July 21, 2012

मिथिलेश कुमार झा -खब्बरदार




हे यौ !
एहि महान जनतंत्रक नेता,
एहि देशक जनता
बुझि गेल अहाँक चालि- प्रकृति- फूटनीति,
गमि लेलक अहाँक
गामसँ गद्दीक धरिक
सस्त बेबहार____
बैसलाक धार;
तैं सरकार, खब्बरदार!
जनतंत्रक जनता केँ
बुझिऔ जुनि
निमूधन_____
शक्ति सँ हीन;
जनताक संगठित शक्ति
बनत प्रचण्ड बिहाडि
अहाँकेँ पछाडि
गढत इतिहास
रहत साक्षी धरा-आकाश !!

No comments:

Post a Comment