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Saturday, July 21, 2012

रवि भूषण पाठक - ऐ‍ बेर छठिमे



ऐ‍ बेर छठिमे
पहिले छठिमे सूर्यदेव उगति छलाह
या तँ खुटेरी बाबूकेँ गाछीक पाछू
या निसहरा पोखरिक पाछू
कोनो-कोनो बेर शशि बाबूक गाछीक बीचसँ
आ कोनो बेर मझिला कक्काक बँसबीट्टीक पाछू
एहन बात तँ कहियो नै भेलए
कि ओ टेलीफोन टावरक पाछूसँ उगथि
या डाक्टर साहेबक दूमहलाक पाछूसँ
ऐ‍ बेर स्कूलक मोटका हेडमास्टर आश्वस्त छथि
मध्याहन भोजनक पहिल कौर भगवान खाइ छथि
हमरे घरक पाछू किएक ने उगताह?
मुक्खन के जोतखी जी कहने छथिन
भगवान अहाँकेँ छोड़ि कऽ कतए जेताह?
भुटकुन बाबू आ मुंशी जी डराएल छथि
कि भगवान रस्ता बिसरि जेताह?
बच्चा बाबू एकटक लगेने छथि
सभसँ पहिले ओ भगवानकेँ देखि‍ कऽ
खूब जोरसँ चिकरताह
देखियौ देखियौ भगवान तँ ऐ‍बेर मन्दिरक पाछूसँ निकललाह।

जुआएल कुहेसा आ भफाइत पोखरिमे सभ भक-चक छथि
तखने बटोरन बाजल-
‘भगवान तँ ऐ‍बेर दुसधटोलीक पाछूसँ उगि रहल छथि
मुक्खन मुखिया, डाक्टर आ मास्टर साहेब दुसधटोली दिस देखि‍ रहल छथि
सूर्यदेव उगैबला छथि
दुसधटोलीक पाछू अकास टकाटक लाल छलए...........।

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