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Tuesday, April 10, 2012

आशीष अनचिन्हार - गजल



रचना कतेक टका लगतै सपना किनबाक लेल
जूटल घर सरदर अँगना किनबाक लेल

हम मुक्त छी राग-विराग प्रेम-घृणासँ
रचना कतेक टका लगतै भावना किनबाक लेल

सत्त मानू हम काज करै छी लोकतंत्रक पद्धतिए
रचना कतेक टका लगतै पटना किनबाक लेल

पत्रकारिता गुलाम छैक टी.आर.पीक
रचना कतेक टका लगतै घटना किनबाक लेल

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